वैकल्पिक विषय के रूप में हिन्दी साहित्य क्यों?
संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोगों की मुख्य परीक्षा में हिन्दी साहित्य न सिर्फ एक लोकप्रिय विषय है बल्कि अंकदायी भी है. जहां तक अंक का प्रश्न है तो हिन्दी माध्यम में दूसरा शायद ही कोई वैकल्पिक विषय हो जिसमें हिन्दी साहित्य की तुलना में ज्यादा अंक आते हों.
पिछले कुछ वर्षों के सिविल सेवा परीक्षा परिणाम में हिंदी माध्यम के अधिकांश शुरुआती रैंक उन्हीं उम्मीदवारों के हैं जिनके पास हिन्दी साहित्य विषय था. शीर्ष दस स्थान में भी कई छात्र जगह बनाते हैं.
इस विषय को वाणिज्य, विज्ञान, कला, इंजीनियरिंग या मेडिकल जैसे क्षेत्रों के विद्यार्थी भी वैकल्पिक विषय के रूप में चुन सकते हैं और अच्छे अंक ला सकते हैं. ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जब विज्ञान और इंजीनियरिंग संवर्ग के छात्रों ने तीन सौ से अधिक अंक लाए हैं. रणनीतिक ढंग से बेहतरीन तैयारी और परिमार्जित भाषा के साथ इस विषय में 350 अंक तक लाए जा सकते हैं जो न सिर्फ चयन के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि अच्छी रैंक लाने में भी मदद करते हैं.
हिंदी साहित्य विषय के साथ एक और सकारात्मक बात यह है कि इसकी अंग्रेज़ी माध्यम से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. इस विषय का मूल्यांकन करने वाला परीक्षक भी हिन्दी विषय और साहित्य का होता है, इसलिए यहां भाषा का भेद नहीं रह जाता है. अन्य विषयों के साथ अक्सर देखने में आता है कि हिन्दी माध्यम की तुलना में अंग्रेजी माध्यम में अंक ज्यादा आते हैं.
हिन्दी साहित्य का पाठ्यक्रम छोटा है तीन-चार महीने में आसानी से तैयार हो जाता है. लेखन अभ्यास के बाद कोई भी छात्र अच्छे अंक लाने में सक्षम हो सकता है, बशर्ते उसे विषय की समझ अच्छी हो और भाषा के स्तर पर ज्यादा अशुद्धियां न करता हो. यही नहीं, हर साल बहुत ज्यादा बदलाव की आवश्यकता नहीं होती है और एक बार तैयार हो जाने के बाद उसे सिर्फ दोहराने भर से काम चल जाता है.
हिन्दी साहित्य की वजह से भाषा पर भी अच्छी पकड़ बन जाती है जिसका लाभ निबंध और सामान्य अध्ययन के उत्तर लेखन में भी मिलता है.
OJAANK IAS में जाने-माने विषय विशेषज्ञ और लेखक समीरात्मज मिश्र के मार्गदर्शन में हिन्दी साहित्य वैकल्पिक विषय की शुरुआत हो रही है. समीरात्मज मिश्र न सिर्फ लंबे समय से हिन्दी साहित्य वैकल्पिक विषय के छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे हैं बल्कि यूपीएससी और यूपी पीएससी की परीक्षा में खुद भी लगातार अच्छे अंक लाते रहे हैं.
मैक्ग्रॉहिल प्रकाशन से उनकी लोकप्रिय पुस्तक “निबंध मंजूषा” लगभग हर प्रतियोगी छात्र पढ़ता है. इसके अलावा उनकी कुछ और भी पुस्तकें प्रकाशित हैं और विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में उनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं और विभिन्न विषयों पर होने वाली परिचर्चाओं में भी वे शामिल होते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एमफ़िल कर चुके समीरात्मज मिश्र आधुनिक और आसान तरीके से हिन्दी साहित्य का अध्यापन करते हैं ताकि बिल्कुल नए छात्रों को भी विषय रोचक लगे और धीरे-धीरे वो भी खुद को अच्छे अंक लाने लायक तैयार कर सकें.
ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं के साथ पाठ्यक्रम और परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के अनुरूप उच्च कोटि की अध्ययन सामग्री भी छात्रों को उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा कक्षा में भी आवश्यक नोट्स दिए जाते हैं.
समय-समय पर छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है ताकि पता चल सके उन्हें जिस स्तर की तैयारी करनी है, उस स्तर की वो कर पा रहे हैं या नहीं. जो भी कमी रहती है, उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है.